कृष्ण पर कथाएँ
सगुण भक्ति काव्यधारा
में राम और कृष्ण दो प्रमुख अराध्य देव के रूप में प्रतिष्ठित हुए। इसमें कृष्ण बहुआयामी और गरिमामय व्यक्तित्व द्वारा मानवता को एक तागे से जोड़ने का आदर्श प्रस्तुत करते हैं। सगुण कवियों ने प्रेम और हरि को अभेद्य माना, प्रेम कृष्ण का रूप है और स्वयं कृष्ण प्रेम-स्वरुप हैं। प्रस्तुत चयन में भारतीय संस्कृति की पूर्णता के आदर्श कृष्ण के बेहतरीन दोहों और कविताओं का संकलन किया गया है।
बाल महाभारत : पहला, दूसरा और तीसरा दिन
कौरवों की सेना के अग्रभाग पर प्रायः दुःशासन ही रहा करता था और पांडवों की सेना के आगे भीमसेन बाप ने बेटे को मारा। बेटे ने पिता के प्राण लिए। भानजे ने मामा का वध किया। मामा ने भानजे का काम तमाम किया। युद्ध का यह दृश्य था। पहले दिन की लड़ाई में भीष्म ने
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी
बाल महाभारत : राजदूत संजय
उपप्लव्य नगर में रहते हुए पांडवों ने अपने मित्र राजाओं को दूतों द्वारा संदेश भेजकर कोई सात अक्षौहिणी सेना एकत्र की। उधर कौरवों ने भी अपने मित्रों द्वारा काफ़ी बड़ी सेना इकट्ठी कर ली, जो ग्यारह अक्षौहिणी तक हो गई थी। पांचाल नरेश के पुरोहित, जो युधिष्ठिर
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी
बाल महाभारत : शांतिदूत श्रीकृष्ण
शांति की बातचीत करने के उद्देश्य से श्रीकृष्ण हस्तिनापुर गए। उनके साथ सात्यकि भी गए थे। रास्ते में कुशस्थल नामक स्थान में वह एक रात विश्राम करने के लिए ठहरे। हस्तिनापुर में जब यह ख़बर पहुँची कि श्रीकृष्ण पांडवों की ओर से दूत बनकर संधि चर्चा के लिए आ रहे
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी
बाल महाभारत : मंत्रणा
तेरहवाँ बरस पूरा होने पर पांडव विराट की राजधानी छोड़कर विराटराज के ही राज्य में स्थित 'उपप्लव्य' नामक नगर में जाकर रहने लगे। अज्ञातवास की अवधि पूरी हो चुकी थी। इसलिए पाँचों भाई प्रकट रूप में रहने लगे। आगे का कार्यक्रम तय करने के लिए उन्होंने अपने भाई-बंधुओं
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी
बाल महाभारत : द्वेष करनेवाले का जी नहीं भरता
पांडवों के वनवास के दिनों में कई ब्राह्मण उनके आश्रम गए थे। वहाँ से लौटकर वे हस्तिनापुर पहुँचे और धृतराष्ट्र को पांडवों के हाल-चाल सुनाए। धृतराष्ट्र ने जब यह सुना कि पांडव वन में बड़ी तकलीफ़ें उठा रहे हैं, तो उनके मन में चिंता होने लगी। लेकिन दुर्योधन
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी
बाल महाभारत : धृतराष्ट्र की चिंता
जब द्रौपदी को साथ लेकर पांडव वन की ओर जाने लगे थे, तो धृतराष्ट्र ने विदुर को बुला और पूछा—“विदुर, पांडु के बेटे और द्रौपदी कैसे जा रहे हैं? मैं कुछ देख नहीं सकता हूँ। तुम्हीं बताओ कैसे जा रहे हैं वे?” विदुर ने कहा—“कुंती-पुत्र युधिष्ठिर, कपड़े से
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी
बाल महाभारत : कर्ण और दुर्योधन भी मारे गए
द्रोण के मारे जाने पर कौरव-पक्ष के राजाओं ने कर्ण को सेनापति मनोनीत किया। मद्रराज शल्य कर्ण के सारथी बने। दूसरे दिन कर्ण के सेनापतित्व में फिर से घमासान युद्ध जारी हो गया। अर्जुन की रक्षा करता हुआ भीम, अपने रथ पर उसके पीछे-पीछे चला और दोनों एक साथ कर्ण