
जगत् में सब कुछ क्षण-भंगुर है, केवल एक वस्तु नष्ट नहीं होती और वह वस्तु है भाव या आदर्श, हमारे आदर्श ही हमारे समाज की आशा हैं।
जगत् में सब कुछ क्षण-भंगुर है, केवल एक वस्तु नष्ट नहीं होती और वह वस्तु है भाव या आदर्श, हमारे आदर्श ही हमारे समाज की आशा हैं।