संत लालदास के दोहे
थोड़ा जीवण कारनै, मत कोई करो अनीत।
वोला जौ गल जावोगे, जो बालु की भीत॥
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नेकी जबलग कीजिये, जबलग पार वसाय।
नेकी तणा विसायता, जै सिर जाय तो जाय॥
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चकवा चकवी दो जणा, इन मत मारो कोय।
ये मारे करतार नै, रैन विछोहा होय॥
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मैमंता मन मारीये, नहना कर कर पीस।
तौ सुष पावै सुंदरी, पदम झलैकै सीस॥
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दीपक जोरा तेल भर, वाती करी सुधार।
पूरा किया वीसाहना, वहोर न आवै बाट॥
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मन गया तो जान दे, पग मत देवो जानि।
कतवारी के सुत जौ, फेर मीलोगे आनि॥
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क्या घर का क्या वाहला, डोरी लागी राम।
आपनी आपनी जौम मै, बुडी जाय जीहान॥
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere