Font by Mehr Nastaliq Web

अलवर के रचनाकार

कुल: 9

परंपरागत जल स्रोतों के पुनरुद्धार और जल-संरक्षण के लिए चर्चित। 'आज भी खरे हैं तालाब' प्रसिद्ध कृति। 'गाँधी मार्ग' पत्रिका के संस्थापक-संपादक। गांधीवादी पर्यावरणविद्।

चरनदास की शिष्या। प्रगाढ़ गुरुभक्ति, संसार से पूर्ण वैराग्य, नाम जप और सगुण-निर्गुण ब्रह्म में अभेद भाव-पदों की मुख्य विषय-वस्तु।

'चरणदासी संप्रदाय' के प्रवर्तक। योगसाधक संत। जीवन-लक्ष्य साधने हेतु कृष्ण-भक्ति के साथ अष्टांग योग पर बल देने के लिए स्मरणीय।

'चरनदासी संप्रदाय' से संबंधित संत चरणदास की शिष्या। कविता में सर्वस्व समर्पण और वैराग्य को महत्त्व देने के लिए स्मरणीय।

रासो काव्य परंपरा के अंतिम कवियों में से एक। प्रबंध काव्य 'हम्मीर रासो' से प्रसिद्ध।

भक्तिकाल। संत गद्दन चिश्ती के शिष्य। लालदासी संप्रदाय के प्रवर्तक। मेवात क्षेत्र में धार्मिक पुनर्जागरण के पुरोधा।

रीतिकालीन अल्पज्ञात कवि। संयोग शृंगार के कामुक प्रसंगों की उद्भावनाओं के लिए स्मरणीय।

रीतिकालीन अलक्षित कवि।

'मत्स्य री मीरा' के रूप में प्रसिद्ध। रचनाओं के कथ्य और भाषा में सरलमना गृहस्थन की सी सरलता।

जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

टिकट ख़रीदिए