जॉर्ज आरवेल के उद्धरण
अगर लोग अच्छा लिख नहीं सकते, तो वे अच्छा सोच नहीं सकते और यदि वे अच्छा सोच नहीं सकते तो फिर उनके लिए सोचने का काम कोई और करता है।
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अगर तुम छोटे नियमों को मान सको तो तुम बड़े नियम तोड़ सकते हो।
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पचास साल की उम्र हर मनुष्य के पास वह चेहरा होता है जिसमें उसकी आत्मा झलकती है।
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मनुष्य होने का सार यही है, कि वह दोषहीन होने की इच्छा न रखे।
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जो अतीत पर विजय प्राप्त कर लेता है, वह भविष्य पर विजय प्राप्त कर लेता है। जो वर्तमान पर विजय प्राप्त कर लेता है वह अतीत पर विजय प्राप्त कर लेता है।
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शायद हमें प्यार किये जाने से ज़्यादा ज़रूरत समझे जाने की थी।
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निष्ठाहीनता, स्पष्ठ भाषा की दुश्मन है। जब किसी के वास्तविक और घोषित उद्देश्यों के बीच एक अंतर होता है तब वह स्वतः ज़्यादा शब्दों और मुहावरों की तरफ मुड़ जाता है। उस मछली की तरह जो स्याही उगलती है।
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मनुष्य तभी ख़ुश रह सकता है जब वह यह मान कर न बैठा हो कि जीवन का उद्देश्य ख़ुश रहना है।
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यह भी सच है कि कोई कुछ पठनीय तब तक नहीं लिख सकता जब तक वह लगातार ख़ुद के व्यक्तित्व से ख़ुद को मुक्त न करता रहे। अच्छा गद्य एक खिड़की की तरह होता है।
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यदि तुम कोई रहस्य रखना चाहते हो तो तुम्हें उसे स्वयं से भी ओझल रखना चाहिए।
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तुम्हें बहुत ज़्यादा प्रयासरत रहना चाहिए। संयत होना आसान नहीं है।
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पृथ्वी की सतह से प्यार करने के लिए, ठोस वस्तुओं और अनुपयोगी जानकारियों के अवशेषों का सुख लेने के लिए, जब तक मैं स्वस्थ और जीवित हूँ गद्य शैली के लिए दृढ़ता से महसूस करता रहूँगा।
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हर घटना का एक परिणाम होता है जो उसी घटना में छुपा हुआ होता है।
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere