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बेट्टी फ्रीडन

1921 - 2006

बेट्टी फ्रीडन के उद्धरण

पुरुष दुश्मन नहीं है, बल्कि सहचर पीड़ित है। असली शत्रु स्त्रियों द्वारा ख़ुद की आलोचना करना है।

स्त्रियों को पूरी मानव नियति में हिस्सेदारी के बजाय आधे जीवन की तस्वीर को क्यों स्वीकार करना चाहिए?

समस्या हमेशा बच्चों की माँ या मंत्री की पत्नी होने में और—कभी भी—जो हो वह नहीं होने में होती है।

बूढ़ा हो जाना जवानी को खो देना नहीं है, बल्कि अवसर और ताक़त का नया कार्यक्षेत्र है।

जब उसने स्त्रीत्व की पारंपरिक तस्वीर के अनुरूप जीना बंद कर दिया, तब वह आख़िरकार स्त्री होने का आनंद लेने लगी।

किसी स्त्री—और पुरुष के लिए भी—ख़ुद को तलाशने और एक व्यक्ति के रूप में जानने का एकमात्र साधन, अपना मौलिक कार्य है।

कौन जानता है कि स्त्रियाँ तब क्या हो सकती हैं, जब वे अंततः अपनी मर्ज़ी से जीने के लिए स्वतंत्र हो जाएँगी।

स्त्रीवाद ने स्त्री की पुरानी छवि को नष्ट कर दिया; लेकिन वह उस विद्वेष, पूर्वाग्रह और भेदभाव को ख़त्म नहीं कर पाया जो अभी तक विद्यमान है।

आपके पास सब कुछ हो सकता है, मगर वह एक साथ नहीं हो सकता।

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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