Font by Mehr Nastaliq Web
Ashok Vajpeyi's Photo'

अशोक वाजपेयी

1941 | दुर्ग, छत्तीसगढ़

समादृत कवि-आलोचक और संस्कृतिकर्मी। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

समादृत कवि-आलोचक और संस्कृतिकर्मी। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

अशोक वाजपेयी के उद्धरण

136
Favorite

श्रेणीबद्ध करें

अगर कविता होती तो राम और कृष्ण भी यथार्थ होते।

कविता आत्म और पर के द्वैत को ध्वस्त करती है।

जितना कवि समय को, उतना ही समय कवि को गढ़ता है।

कविता परम सत्य और चरम असत्य के बीच गोधूलि की तरह विचरती है।

शिल्प भाषा का अंतःकरण है।

कविता सरलीकरण और सामान्यीकरण के विरुद्ध अथक सत्याग्रह है।

साहित्य, लालित्य के बचाव में प्रयत्नशील बने रहने की भी भूमि है।

  • संबंधित विषय : कला

कविता एकांत देती है।

कविता का काम संसार के बिना नहीं चलता। वह उसका सत्यापन भी करती है और गुणगान भी।

कविता भाषा का शिल्पित रूप है, कच्चा रूप नहीं।

कविता भाषा का भाषा में स्वराज है।

कविता व्यक्ति को दूसरा बनाए जाने के क्रूर अमानवीय उपक्रम के विरुद्ध सविनय अवज्ञा है।

कविता समाज नहीं, व्यक्ति लिखता है, फिर भी कविता एक सामाजिक कर्म है।

कविता अपने सच पर ईमानदार शक करती है।

कविता यथार्थ का बिंब भर नहीं होती। वह उसमें कुछ जोड़ती, इज़ाफ़ा करती है।

कविता कवि, पाठक और श्रोता का साझा सच है।

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

Recitation

जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

टिकट ख़रीदिए