Font by Mehr Nastaliq Web

कल से शुरू हो रहा है इंडिया हैबिटैट सेंटर थिएटर फ़ेस्टिवल

रंगमंचप्रेमियों के लिए इंडिया हैबिटेट सेंटर थिएटर फ़ेस्टिवल का नया संस्करण आयोजित किया जा रहा है। फ़ेस्टिवल का यह संस्करण 20 सितंबर से 29 सितंबर 2024 तक इंडिया हैबिटैट सेंटर लोधी रोड़ में आयोजित किया जाएगा।

दस दिनों के इस रंगमंच उत्सव—वार्षिक आईएचसी थिएटर फ़ेस्टिवल में ‘ए प्ले, ए डे’ के तहत आपको भारत भर के समकालीन थिएटर में कुछ अभिनव और सामाजिक रूप से प्रासंगिक अन्वेषणों का एक विहंगम दृश्य देखने को मिलेगा। यह संस्करण रचनात्मक ऊर्जाओं का एक आनंददायक उत्सव होगा जो लेखक, अभिनेता, निर्देशक, कलाकार, कविता, गद्य, रचनाकार, अतीत और वर्तमान के बीच की सीमाओं को मिटा देता है।

आयोजन में लेखक-कवि जेरी पिंटो और नवीन किशोर ‘अ लाइफ़ इन पोएट्री’ और ‘मदर म्यूज क्विंटेट’ सत्र के अंतर्गत अपने शब्दों को प्रदर्शन कला में बदलेंगे। अकावोरियस प्रोडक्शंस अपनी अस्सीवीं प्रस्तुति ‘दिस टाइम’ के साथ अपने थिएटर यात्रा को चिह्नित करेगा, जिसमें समय बीतने, उदासीनता के लाभ-हानि और मध्य जीवन संकट की शुरुआत जैसे विषयों की खोज की जाएगी।

वहीं सचिन शिंदे का ‘कल्गितुरा’ ग्रामीण महाराष्ट्र की लोक-परंपरा और वातावरण को जीवंत करेगा, जबकि मनीष वर्मा की ब्लैक कॉमेडी ‘जंप’—शहरी अलगाव और भीड़-भाड़ वाले शहर में जीवन की एकांतता को उजागर करता है। मानव कौल की ‘त्रासदी’ एक माँ की मृत्यु के दुख और पश्चाताप में एक मार्मिक अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। पांडिचेरी की आदिशक्ति एक बार फिर ‘उर्मिला’ के साथ नए क्षेत्रों की खोज करेंगी, जिसमें समकालीन प्रासंगिकता के जटिल नैतिक और लिंग-संबंधी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक प्राचीन कहानी का उपयोग हुआ है।

इस आयोजन को लेकर इंडिया हैबिटेट सेंटर के हैबिटेट वर्ल्ड में क्रिएटिव हेड प्रोग्रांस, विद्युन सिंह ने कहा, “हम अपने वार्षिक थिएटर फ़ेस्टिवल पर गर्व करते हैं जो भारत में शैलियों और भाषाओं में फैले थिएटर का एक दिलचस्प मिश्रण लाता है। पैन इंडियन थिएटर प्रैक्टिशनर्स के लिए एक राष्ट्रीय मंच बनाने का हमारा दृष्टिकोण फलदायी हो रहा है और नए दर्शक और जागरूकता पैदा कर रहा है। इस वर्ष के लाइन-अप में विविध प्रकार की कहानियाँ शामिल हैं।”

विक्रम कपाड़िया और डेनियल डिसूजा ‘रेड’ में एक कलाकार और उसकी रचनाओं के बीच के संबंध पर एक नज़र डालते हैं और प्रसिद्ध चित्रकार मार्क रोथको के जीवन पर आधारित यह कला की प्रासंगिकता और उसके उद्देश्य पर प्रश्न करती है। मणिपुर से विक्टर थौदम ‘एबोरिजिनल क्राई’  के साथ लौट रहे हैं, जो भूमि, अनुष्ठानों और संस्कृतियों के बीच आदिवासियों के संबंधों के अशाब्दिक अन्वेषण है। 

श्रीनिवास बीसेट्टी के ‘वेटिंग फ़ॉर नसीर’ में थिएटर, अभिनय, जुनून और जीवन का उत्सव दिखता है, जो सपनों को पूरा करने के दौरान आने वाली चुनौतियों और असुरक्षाओं को दर्शाता है। वहीं दूसरी ओर, जुनून को मूर्त रूप देने और इसे साकार करने वाले असम के ‘नागांव’ गाँव के बिद्युत कुमार नाथ हैं। उन्होंने अपने जुनून को आगे बढ़ाया, अपने नाटक ‘रघुनाथ’ को मंच देने के लिए फ़ेसबुक के माध्यम से क्राउड-फ़ंडिंग की और इस साल की शुरुआत में मेटा अवार्ड्स में छह पुरस्कार जीतकर सभी को चौंका दिया।

नाट्य महोत्सव में विजय तेंदुलकर के प्रसिद्ध नाटक ‘घाशीराम कोतवाल’ का फ़िल्म रूपांतरण भी प्रदर्शित किया जाएगा।

आईएचसी थिएटर फ़ेस्टिवल 2024 : नाटकों की सूची—

‘अ लाइफ़ इन पोएट्री’ निर्देशक जेरी पिंटो‘घाशीराम कोतवाल’ युक्त फ़िल्म सहकारी समिति द्वारा निर्देशित
‘त्रासदी’ मानव कौल द्वारा निर्देशित
‘मदर म्यूज क्विंटेट’ नवीन किशोर और जीवराज सिंह द्वारा
‘कल्गितुरा’ सचिन शिंदे द्वारा निर्देशित
‘वेटिंग फ़ॉर नसीर’ श्रीनिवास बीसेट्टी द्वारा निर्देशित
‘रघुनाथ’ बिद्युत कृ नाथ द्वारा निर्देशित
‘जंप’ मनीष वर्मा द्वारा निर्देशित
‘दिस टाइम’ आकर्ष खुराना द्वारा निर्देशित
‘उर्मिला’ निमि रैफ़ेल द्वारा निर्देशित
‘रेड’ डेनियल ओवेन डिसूजा द्वारा निर्देशित
‘एबोरिजिनल क्राई’ विक्टर थौदाम द्वारा निर्देशित

टिकट BookMyShow.com पर और इंडिया हैबिटेट सेंटर, लोधी रोड कार्यक्रम डेस्क पर उपलब्ध हैं।

संबंधित विषय

'बेला' की नई पोस्ट्स पाने के लिए हमें सब्सक्राइब कीजिए

Incorrect email address

कृपया अधिसूचना से संबंधित जानकारी की जाँच करें

आपके सब्सक्राइब के लिए धन्यवाद

हम आपसे शीघ्र ही जुड़ेंगे

06 अगस्त 2024

मुझे यक़ीन है कि अब वह कभी लौटकर नहीं आएँगे

06 अगस्त 2024

मुझे यक़ीन है कि अब वह कभी लौटकर नहीं आएँगे

तड़के तीन से साढ़े तीन बजे के बीच वह मेरे कमरे पर दस्तक देते, जिसमें भीतर से सिटकनी लगी होती थी। वह मेरा नाम पुकारते, बल्कि फुसफुसाते। कुछ देर तक मैं ऐसे दिखावा करता, मानो मुझे कुछ सुनाई नहीं पड़ रहा हो

23 अगस्त 2024

उन सबके नाम, जिन्होंने मुझसे प्रेम करने की कोशिश की

23 अगस्त 2024

उन सबके नाम, जिन्होंने मुझसे प्रेम करने की कोशिश की

मैं तब भी कुछ नहीं था, और आज भी नहीं, लेकिन कुछ तो तुमने मुझमें देखा होगा कि तुम मेरी तरफ़ उस नेमत को लेकर बढ़ीं, जिसकी दुहाई मैं बचपन से लेकर अधेड़ होने तक देता रहा। कहता रहा कि मुझे प्यार नहीं मिला, न

13 अगस्त 2024

स्वाधीनता के इतने वर्ष बाद भी स्त्रियों की स्वाधीनता कहाँ है?

13 अगस्त 2024

स्वाधीनता के इतने वर्ष बाद भी स्त्रियों की स्वाधीनता कहाँ है?

रात का एक अलग सौंदर्य होता है! एक अलग पहचान! रात में कविता बरसती है। रात की सुंदरता को जिसने कभी उपलब्ध नहीं किया, वह कभी कवि-कलाकार नहीं बन सकता—मेरे एक दोस्त ने मुझसे यह कहा था। उन्होंने मेरी तरफ़

18 अगस्त 2024

एक अँग्रेज़ी विभाग के अंदर की बातें

18 अगस्त 2024

एक अँग्रेज़ी विभाग के अंदर की बातें

एक डॉ. सलमान अकेले अपनी केबिन में कुछ बड़बड़ा रहे थे। अँग्रेज़ी उनकी मादरी ज़बान न थी, बड़ी मुश्किल से अँग्रेज़ी लिखने का हुनर आया था। ऐक्सेंट तो अब भी अच्छा नहीं था, इसलिए अपने अँग्रेज़ीदाँ कलीग्स के बी

17 अगस्त 2024

जुमई ख़ाँ ‘आज़ाद’ : बिना काटे भिटवा गड़हिया न पटिहैं

17 अगस्त 2024

जुमई ख़ाँ ‘आज़ाद’ : बिना काटे भिटवा गड़हिया न पटिहैं

कवि जुमई ख़ाँ ‘आज़ाद’ (1930-2013) अवधी भाषा के अत्यंत लोकप्रिय कवि हैं। उनकी जन्मतिथि के अवसर पर जन संस्कृति मंच, गिरिडीह और ‘परिवर्तन’ पत्रिका के साझे प्रयत्न से जुमई ख़ाँ ‘आज़ाद’ स्मृति संवाद कार्य

बेला लेटेस्ट

जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

पास यहाँ से प्राप्त कीजिए