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प्रसिद्ध पर कविताएँ

शहर

रेखा राजवंशी

माँ तो रही नहीं अब

अलका सिन्हा

सुनो तुम!

मेधा झा

प्रस्थान : एक

सोनू यशराज

बौंजाई

अलका सिन्हा

राजा-रानी कथा

वीरेंद्र वत्स

कौन है वह

वीरेंद्र वत्स

जूवनाइल लड़कियाँ

अलका सिन्हा

तीन बेटे

वीरेंद्र वत्स

हालात

जयंत शुक्ला

समुद्र

रमेश प्रजापति

अचार का बवाम

शिवांगी सौम्या

उपेक्षा

ममता जयंत

सुख

ममता जयंत

तुम होते हो तो

दीप्ति कुशवाह

दोपाए पशु

ममता जयंत

महानगर में मज़दूर

रमेश प्रजापति

कविता का मोगरा फूल

कपिल भारद्वाज

मैं रोती क्यों नहीं?

शिवांगी सौम्या

ये कौन-सा सूरज निकला है

शिवांगी सौम्या

अधूरा संत्रास

कपिल भारद्वाज

विदा

ममता जयंत

हमारे मिटने के बाद

वीरेंद्र वत्स

तुम साथ हो

दीप्ति कुशवाह

मेरी माँ

अलका सिन्हा

हाथ पीले हो गए

वीरेंद्र वत्स

शुभ्रवसना

वीरेंद्र वत्स

मेरी दादी

दीप्ति कुशवाह

परिभाषा

मेधा झा

लड़कियाँ

रेखा राजवंशी

फ्री

दीप्ति कुशवाह

आईना

ज्योतिकृष्ण वर्मा

गर्हित वह गणतंत्र

वीरेंद्र वत्स

जोगी

कपिल भारद्वाज

दो होने की क़ीमत

अलका सिन्हा

हवा

रमेश प्रजापति

अरी! लकड़ी

रमेश प्रजापति