प्लीज़ कम सून, बाबा
ज़िंदगी में कुछ ख़ास तिथियाँ होती हैं जो ताउम्र साथ चलती हैं—शोक व आह्लाद की तिथियाँ। अतीत में खो जाने की तिथियाँ, यादों को ताज़ा करके प्रफुल्लित होने की तिथियाँ या फिर गहरे शोक में डूब जाने की तिथियाँ। 11 सितंबर 1964, 08 जुलाई 2010, 29 जनवरी 2012, 7