परिचय पर उद्धरण

घोर प्रकाश और घोर अंधकार नेत्रों के लिए जिस प्रकार अदर्शित होते हैं, उसी प्रकार दूसरे इंद्रिय-अनुभव भी हैं।

श्रीनरेश मेहता

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