
हेमचंद्र मध्यकालीन साहित्यिक संस्कृति के चमकते हुए हीरे हैं। विक्रम की बारहवीं शताब्दी में जैसी तेज़ आँख उनको प्राप्त हुई, वैसी अन्य किसी की नहीं। वस्तुतः वे हिंदी-युग के आदि आचार्य हैं।

पतंजलि के महाभाष्य से पता चलता है कि पाणिनि अत्यंत बुद्धिशाली आचार्य थे।

आनन्द कुमारस्वामी इस अर्द्ध शताब्दी के महान् आचार्यों में से थे। उन्होंने जो ज्ञानधारा बहाई, उसका सलिल हमारे विकसित जीवन के लिए भविष्य में और भी आवश्यक होगा। वे कला को जीवन का अभिन्न अंग मानते थे।