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कवियों की सूची

सैकड़ों कवियों की चयनित कविताएँ

छत्रसाल के दरबारी कवि। प्रबंधपटुता, संबंध-निर्वाह और मार्मिक स्थलों के चुनाव में दक्ष। 'छत्रप्रकाश' कीर्ति का आधार ग्रंथ।

रीतिकालीन अलक्षित कवि।

सुपरिचित गुजराती कवि-नाटककार और कथाकार। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

रीतिकालीन अलक्षित कवि। कविता सामान्य, शब्द-लाघव और परिपाटी निर्वाह के लिए उल्लेखनीय।

मणिपुरी भाषा के सुप्रसिद्ध कवि-निबंधकार। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

‘साहित्यर्थी’ और ‘रसराज’ के रूप में सुप्रसिद्ध असमिया कवि-लेखक-व्यंग्यकार।

सुपरिचित कवि और व्यंग्यकार। 'प्रश्नकाल का दौर' शीर्षक से एक व्यंग्य-संग्रह प्रकाशित।

रीतिकाल और आधुनिक काल की संधि रेखा पर स्थित अलक्षित कवि।

वास्तविक नाम कुंदनलाल। सखी संप्रदाय में दीक्षित होकर ललित किशोरी नाम रखा। कृष्ण-भक्ति से ओत-प्रोत सरस पदों के लिए स्मरणीय।

रीतिकालीन कृष्णभक्त कवि।

'टट्टी संप्रदाय' के अष्टाचार्यों में से अंतिम। रसरीति के कुशल व्याख्याता एवं वैराग्य के धनी।

आरंभिक दौर के चार प्रमुख गद्यकारों में से एक। खड़ी बोली गद्य की आरंभिक कृतियों में से एक ‘प्रेमसागर’ के लिए उल्लेखनीय।

जसनाथ संप्रदाय से संबद्ध। सच्ची आत्मानुभूति और मर्मबेधिनी वाणी के धनी संतकवि।

नवें दशक में उभरे कवि-लेखक। वैचारिक प्रतिबद्धता के लिए उल्लेखनीय।

मणिपुरी भाषा के समादृत कवि-लेखक। आधुनिक मणिपुरी साहित्य के सृजन में योगदान के लिए उल्लेखनीय।

मणिपुरी भाषा की ‘युवा कविता धारा’ के प्रतिनिधि कवि। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

नई पीढ़ी के कवि-ग़ज़लकार। निम्नमध्यवर्गीय संवेदना के लिए उल्लेखनीय।

सुपरिचित कवि। दो कविता-संग्रह—‘लाल चोंच वाले पंछी’ और ‘घिस रहा है धान का कटोरा’ प्रकाशित।

‘कांतकवि’ के रूप में सुप्रसिद्ध राष्ट्रवादी धारा के ओड़िया कवि-कलाकार।

समादृत कवि। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

सुपरिचित कवि-गद्यकार और संपादक। भाषिक वैभव और आदिवासी-लोक-संवेदना के लिए उल्लेखनीय।

सुपरिचित कवयित्री। स्त्रीवादी संवेदना-सरोकारों के लिए उल्लेखनीय।

रीतिकालीन कवि। देवनदी गंगा की स्तुति में लिखित ग्रंथ 'गंगाभरण' से प्रसिद्ध।

वैश्विक साहित्य के सर्वाधिक प्रभावशाली और महान लेखकों में से एक। ‘वार एंड पीस’ और ‘आन्ना कारेनिना’ जैसी कालजयी कृतियों के लिए स्मरणीय।

महान चित्रकार और वैज्ञानिक।

नई पीढ़ी की कवयित्री। ‘प्राचीन भारत में मातृसत्ता और यौनिकता’ शीर्षक पुस्तक उल्लेखनीय।

सुप्रसिद्ध इतालवी नाटककार, कथाकार और कवि। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित।

समय : 8वीं सदी। राजा धर्मपाल के समकालीन और शबरपा के शिष्य। चौरासी सिद्धों में महत्त्वपूर्ण। जातिवाद और आडंबर के विरोधी।

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