रघुराजसिंह के दोहे
यदुपति कटि की चारुता, को करि सकै बखान।
जासु सुछवि लखि सकुचि हरि, रहत दरीन दुरान॥
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उर अनुपम उनको लसै, सुखमा को अति ठाट।
मनहु सुछवि हिय भरि भये, काम शृंगार कपाट॥
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यदुपति नैन समान हित, ह्वै बिरचै मैन।
मीन कंज खंजन मृगहु, समता तऊ लहै न॥
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हरिनासा को सुभगता, अटकि रही दृग माँह।
कामकीर के ठौर की, सुखमा छुवति न छाँह॥
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सविता दुहिता श्यामता, सुखसरिता नख ज्योति।
सुतल अरुणता भारती, चरण त्रिवेणी होति॥
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विलसति यदुपति नखनितति, अनुपम द्युति दरिशाति।
उडुपति युत उडु अवलि लखि, सकुचि-सकुचि दुरिजाति॥
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देवकीनंदन कठ को, रच्यो न विधि उपमान।
जे जड़ दरको पटतरहिं, तिन सम जड़ न जहान॥
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युगल जानु यदुराज की, जोहि सुकवि रसभीन।
कहत भार शृंगार के, सपुट द्वै रचि दीन॥
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कामकरभ कर उरग वर, रस शृंगार द्रुम डार।
भुजनि जोहि जदुवीर के, देव पराभव पार॥
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पद्मनाभ के नाभि की, सुखमा सुठि सरसाय।
निरखि भानुजा धार को, भ्रमि-भ्रमि भंवर भुलाय॥
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गोल कपोल अतोल है, छाये सुछवि अमान।
मदन आरसी रसपसर, सम शर करत अजान॥
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यदुपति मौहन की सुछवि, मदन धनुष की सोभ।
जीति लसतहै तिनहिं लखि, दृग न टरत रतलोभ॥
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लली कान्ह रोमावली, भली बनी छवि छाय।
मनहु काम शृंगार की, दीन्ही लीक खचाइ॥
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उरू सलोने श्याम के, निरखत टरत न नैन।
जैतखभ शृंगार के, मानहु विरच्यो मैन॥
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मनमोहन के नैन वर, वरणि कौन विधि जाहि।
कंज खंज मृग मैन शर, मीनहु जेहि सम नाहिं॥
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लाली ये ही लाल की, अति अनुपम दरशाहिं।
काम बाग की नारंगी, सम कहि कवि सकुचाहिं॥
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भौंह वरुण यदुराज की, रही अपूरुब सोहि।
करहिं लजोहै कामधनु, शरमन लवै पोहि॥
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वर दामोदर को उदर, जेहि नहिं समता पाइ।
नवल अमल बल दल सुदल, डोलत रहत लजाइ॥
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भालपटलि नगवंत की, भनति भारती नीठि।
वशीकरन जपकरन की, मनमनोज सिधि पीठि॥
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ग्रीवा गिरिधरलाल की, अनुपम रही बिराजि।
निरखि लाज उर दरकि दर, बस्यो उदधि मह भाजि॥
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गुलुफ-गुलुफ खोलनि हृदय, हो तौ उपमा तूल।
ज्यों इंदीवर तट असित, द्वै गुलाब के फूल॥
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श्री यदुपति के भुज युगल, छाजि रहे छवि भौन।
निरखत जिनहिं भुजंगवर, लजि पताल किय गौन॥
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चारु चरण की आँगुरी, मो पै वरणि न जाइ।
कमल-कोश की पाँखुरी, पेखत जिनहि लजाइ॥
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बाललाल के भाल में, सुखमा बसी बिशाल।
सुछवि भाल शशि अरघ ह्वै, निरखत होत बिहाल॥
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कल किशलय कोमल कमल, पदतल सम नहिं पाय।
यक सोचत पियरात नित, यक सकुचतु झरि जाय॥
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अति अनुपम कहि जाति नहिं, युगल जांघ की ज्योति।
जिनहि जोहि कलकलभ को, शुंड कुंडलित होति॥
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere