Font by Mehr Nastaliq Web

माधवदेव के उद्धरण

हे हरि! आपने अपने नाम को स्वयं से भी बढ़ा दिया, अपनी सब शक्ति उसमें भर दी। उसके स्मरण के लिए काल के नियम भी नहीं बनाए। ऐसी तुम्हारी कृपा हुई परंतु मेरा दुर्भाग्य तो देखो कि तुम्हारे नाम के प्रति मुझमें अनुराग ही नहीं उत्पन्न हुआ।

जिन्हें मुक्ति की इच्छा नहीं, ऐसे महान भक्तों को प्रणाम है।

हे नारायण! तुम नित्य और निरंजन (पवित्र) हो। मैं भी तुम्हारा अंश हूँ।

Recitation