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हृदयराम

भक्तिकालीन कवि। 'भाषा हनुमन्नाटक' नामक पद्य नाटक के लिए स्मरणीय।

भक्तिकालीन कवि। 'भाषा हनुमन्नाटक' नामक पद्य नाटक के लिए स्मरणीय।

हृदयराम के दोहे

सुख सागर नागर नवल, कमल बदन द्युतिमैन

करुणा कर वरुणादिपति, शरणागत सुख दैन॥

खंजन लोचन कंज मुख, नित खंडन पर पीर।

अरि गंजन भंजन धनुष, भव रंजन रघुवीर॥

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