गोपाल सोनी के बेला
प्रेसिडेंसी कॉलेज की कुछ स्मृतियाँ
प्रथम दर्शन मैं कक्षा में कुछ देर से ही पहुँचा था। धीमे और सधे हुए स्वर में अध्यापक महाशय अपनी बात रख रहे थे। वह गेस्ट लेक्चरर के रूप में वहाँ आए थे। उन्हें देखकर लगा, हर बार की तरह इस बार भी कोई