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आधुनिक काल

सन् 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम के बाद आधुनिक चेतनायुक्त मानस निर्मित हुआ, जिसे पुनर्जागरण ने और प्रबल किया। गद्य की मुकम्मल शुरुआत हुई, कविता की विषयवस्तु में आमूलचूल परिवर्तन हुए और कविता अभिव्यक्ति के वर्जित कोनों तक पहुँची। इस काल में ही—जो अब जारी है—प्रयोगों और विमर्शों के बीच साहित्य का संवाद संसार के अग्रगामी विचारों और परिवर्तनों से हुआ।

जनवादी कविता

1947 -2011 गोंडा

सामाजिक-राजनीतिक आलोचना के प्रखर कवि-ग़ज़लकार।

1911 -2000 बाँदा

आधुनिक हिंदी कविता के प्रमुख कवि और कथाकार। अपने जनवादी विचारों के लिए प्रसिद्ध। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

जनवादी विचारों के चर्चित क्रांतिकारी कवि। भोजपुरी में भी लेखन।

आधुनिक हिंदी कविता के प्रमुख कवि। अपने जनवादी विचारों के लिए प्रसिद्ध। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

1911 -1998 मधुबनी

आधुनिक हिंदी कविता के प्रमुख कवि और कथाकार। अपने जनवादी विचारों के लिए प्रसिद्ध। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

सुपरिचित कवि। लोक-संवेदना और सरोकारों के लिए उल्लेखनीय।

अपने उपनाम के अनरूप ही फक्कड और विद्रोही कवि। जे.एन.यू की पहचान। जन संस्कृति मंच से संबद्ध।

क्रांतिकारी चेतना से युक्त हिंदी के अत्यंत महत्त्वपूर्ण कवि।

‘तू ज़िंदा है तो ज़िंदगी की जीत में यक़ीन कर...’ के रचयिता और लोकप्रिय गीतकार। सिनेमा और प्रगतिशील आंदोलन से संबद्ध।

हिंदी की प्रगतिशील और जनवादी धारा के कवि-गीतकार और कार्यकर्ता।

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