Font by Mehr Nastaliq Web

आधुनिक काल

सन् 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम के बाद आधुनिक चेतनायुक्त मानस निर्मित हुआ, जिसे पुनर्जागरण ने और प्रबल किया। गद्य की मुकम्मल शुरुआत हुई, कविता की विषयवस्तु में आमूलचूल परिवर्तन हुए और कविता अभिव्यक्ति के वर्जित कोनों तक पहुँची। इस काल में ही—जो अब जारी है—प्रयोगों और विमर्शों के बीच साहित्य का संवाद संसार के अग्रगामी विचारों और परिवर्तनों से हुआ।

अलक्षित

अज्ञेय द्वारा संपादित ‘चौथा सप्तक’ के कवि। चित्रकला में भी सक्रिय रहे।

भारतेंदुयुगीन अलक्षित कवि।

1970 -2010 हरदोई

बीसवीं सदी के अंतिम वर्षों में उभरे कवि। कम आयु में दिवंगत।

1936 -2006 भोपाल

धीरे-धीरे साहित्यिक परिदृश्य से अदृश्य हुए हिंदी के श्रेष्ठ कवि-कथाकार।

1869 -1907

भारतेंदुकालीन अलक्षित कवि। रीतिकालीन संस्कारों का प्रभाव, कविता के कथ्य और शिल्प पर रीतिवाद का प्रभाव।

भाषा और भाव के स्तर पर पुरानी परिपाटी पर रचना करने वाले अलक्षित कवि।

विलक्षण, किंतु अलक्षित कवि। ‘हरारत में तीसरी नदी’ प्रमुख कविता-संग्रह।

1938 -1991 अलीगढ़

हिन्दी के प्रसिद्ध नवगीतकार।

1883

भारतेंदु युग की अचर्चित कवयित्री।

1985 -2014 कैमूर

नई पीढ़ी के कवि। असमय दिवंगत। एक कविता-संग्रह 'उम्मीद अब भी बाक़ी है' शीर्षक से मरणोपरांत प्रकाशित।

1934 -1978 सागर

सातवें दशक में उभरे कवि, लेकिन अब अलक्षित।

1853 -1903 हरदोई

रीतिकाल और आधुनिक काल की संधि रेखा पर स्थित अलक्षित कवि।

1955 -1980 हरदा

‘तय तो यही हुआ था’ शीर्षक कविता-संग्रह के कवि। कम आयु में दिवंगत। मरणोपरांत भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार से सम्मानित।

भारतेंदुयुगीन गाँधीवादी कवि।

1961 -2007 जयपुर

‘मिले बस इतना ही’ शीर्षक कविता-संग्रह के कवि। कम आयु में दिवंगत।

अज्ञेय द्वारा संपादित ‘दूसरा सप्तक’ के कवि।

जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

टिकट ख़रीदिए