आधुनिक काल
सन् 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम के बाद आधुनिक चेतनायुक्त मानस निर्मित हुआ, जिसे पुनर्जागरण ने और प्रबल किया। गद्य की मुकम्मल शुरुआत हुई, कविता की विषयवस्तु में आमूलचूल परिवर्तन हुए और कविता अभिव्यक्ति के वर्जित कोनों तक पहुँची। इस काल में ही—जो अब जारी है—प्रयोगों और विमर्शों के बीच साहित्य का संवाद संसार के अग्रगामी विचारों और परिवर्तनों से हुआ।
स्त्री कवि
नई पीढ़ी की कवयित्री। ‘ओ रंगरेज़’ और ‘वर्जित इच्छाओं की सड़क' शीर्षक से दो कविता-संग्रह प्रकाशित।
हिंदी की सुपरिचित कवयित्री और कथाकार। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।
पंजाबी की लोकप्रिय कवयित्री-लेखिका। भारतीय ज्ञानपीठ से सम्मानित।
सुपरिचित कवयित्री। 'मिट्टी का दु:ख' शीर्षक से एक कविता-संग्रह प्रकाशित।
सुपरिचित कवयित्री। 'पैबंद की हँसी' और 'चाँद का शरगा' शीर्षक से दो कविता-संग्रह प्रकाशित।
अज्ञेय द्वारा संपादित ‘तीसरा सप्तक’ की कवयित्री। प्रसिद्ध साहित्यकार अजित कुमार की बहन।
नई पीढ़ी की कवयित्री। शोध, गद्य-लेखन और अनुवाद-कार्य में भी सक्रिय।
नई पीढ़ी की कवयित्री। आदिवासी-संवेदना और सरोकारों के लिए उल्लेखनीय।
सुपरिचित कवयित्री-कथाकार और अनुवादक। भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार से सम्मानित।
छायावाद युग की कवयित्री। पद्य, गद्य-काव्य और कथा विधा में दर्जनाधिक कृतियों का सृजन।
नई पीढ़ी की कवयित्री। 'छाँव' शीर्षक से एक कविता-संग्रह प्रकाशित।