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दोहे

अपभ्रंश साहित्य का प्रमुख छंद, जो कालांतर में लोक साहित्य का सबसे प्रिय छंद बना। यह अपने छोटे से कलेवर में कई बातें समेटने की क्षमता रखता है, इसीलिए इसे गागर में सागर भरने वाला छंद बताया गया है।

1549 -1600

बीकानेर नरेश के भाई और अकबर के दरबारी कवि। भक्ति साहित्य के लिए प्रसिद्ध। 'डिंगल' भाषा के प्रधान कवियों में से एक।

रामभक्ति शाखा के रसिक संप्रदाय से संबद्ध भक्त-कवि।

ओरछानरेश इंद्रजीत सिंह की कृपापात्र नर्तकी और विदुषी। प्रचलित है कि आचार्य केशवदास ने 'कविप्रिया' नामक ग्रंथ प्रवीण को कविशिक्षा देने हेतु रचा था।

सूफ़ी काव्य परंपरा के कवि। संयोग और वियोग की विविध दशाओं के वर्णन में सिद्धहस्त। 'रसरतन' ग्रंथ कीर्ति का आधार।