Font by Mehr Nastaliq Web
noImage

प्रेमलता

रामभक्ति शाखा के रसिक संप्रदाय से संबद्ध भक्त-कवि।

रामभक्ति शाखा के रसिक संप्रदाय से संबद्ध भक्त-कवि।

प्रेमलता के दोहे

जयति जयति सर्वेश्वरी, जन रक्षक सुखदानि।

जय समर्थ अह्लादिनी, सक्ति सील गुन खानि॥

सिया अलिनि की को कहै, सुख सुहाग अनुराग।

विधि हरिहर लखि थकि रहे, जानि छोट निज भाग॥

बहुरि त्रिपाद विभूति ये, श्री, भू, लीला, धाम।

अवलोकहु रमनीक अति, अति विस्तरित ललाम॥

हमहम करि दुख सहत अति, विवस मोह मद सार।

भोगहिं निज कृत कर्म फल, फँसि जड़ माया जार॥

नित्यानित्य पसार बहु, नूतन छन-छन माँझ।

उपजत विनसत लखि परै, जिमि जग भोर सु साँझ॥

विश्व विलास निकुंज अब, अवलोकहु यहि ओर।

नाटक होत जथार्थ जहँ, अति विचित्र चितचोर॥

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

Recitation

जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

टिकट ख़रीदिए