पुहकर के दोहे
कनक वरन सुंदर वदन, कमल नयन कटि छीन।
बरुन बान भुव भंग जनु, मदन चाँप करि लीन॥
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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