तंत्र पर सबद
‘तनोति त्रायति तंत्र’—अर्थात
तनना, फैलाव, विस्तार से त्राण पाना तंत्र है। भारत में सिद्धों-नाथों की परंपरा में इनकी विशिष्ट काव्याभिव्यक्ति पाई जाती है। तंत्र-साधना का लोकप्रिय अभिप्राय गुह्य-साधना है। प्रस्तुत चयन तंत्र-संबंधी विभिन्न काव्य-रूपों से किया गया है।