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बहन पर बेला

अपनी उपस्थिति-अनुपस्थिति

में घर में हमेशा दर्ज रहती बहनें हिंदी कविता का आर्द्र विषय रही हैं। यहाँ प्रस्तुत है—बहन विषयक कविताओं से एक चयन।

19 अगस्त 2024

जो रेखाएँ न कह सकेंगी

जो रेखाएँ न कह सकेंगी

एक युग बीत जाने पर भी मेरी स्मृति से एक घटा भरी अश्रुमुखी सावनी पूर्णिमा की रेखाएँ नहीं मिट सकी हैं। उन रेखाओं के उजले रंग न जाने किस व्यथा से गीले हैं कि अब तक सूख भी नहीं पाए—उड़ना तो दूर की बात है

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