उत्तरी कलकत्ता की एक छोटी-सी अंधी गली में एक अजीब-सा मकान है उसमें बहुत-सी चक्करदार सीढ़ियाँ हैं जो दरवाज़ों वाले अनजाने कमरों तक जाती हैं और उसमें ऊँची-नीची ज़मीन पर, अलग-थलग छज्जे और चबूतरे हैं। सामने के कमरे और बरामदे बड़े-बड़े और ख़ूबसूरत है।
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