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पत्र पर ब्लॉग

पत्र बातों और भावनाओं

को शब्दों में प्रकट कर संवाद करने का एक माध्यम है। प्रस्तुत चयन में उन कविताओं का संकलन किया गया है, जिनमें पत्र प्रमुख तत्त्व और प्रसंग की तरह कविता में उपस्थित हुए हैं।

उनकी ऊँचाई, मेरी जिज्ञासाओं और शंकाओं से ऊपर है

उनकी ऊँचाई, मेरी जिज्ञासाओं और शंकाओं से ऊपर है

संकेत-सूत्र कविताएँ इधर लगभग नहीं ही लिखीं। अनुभूति-क्षणों के आकलन और अभिव्यक्ति की प्रक्रिया शायद कुछ और राहों की ओर मुड़ पड़ी हो, शायद अधिक व्यापक और प्रभविष्णु धरातलों को खोज रही हो। खोज की सफलत

राजेंद्र यादव
एक ख़त मैकॉले के नाम

एक ख़त मैकॉले के नाम

श्रीमान मैकॉले साहब, आप मुझे नहीं जानते। जानेंगे भी कैसे? आपके और मेरे बीच वक़्त का फ़ासला बहुत ज़्यादा है। इसे घड़ी की सुइयों से नहीं नापा जा सकता। इस फ़ासले में काल के सैकड़ों भँवर हैं। इतिहास के म

प्रियंवद
उदास शहर की बातें

उदास शहर की बातें

एक इन दिनों अजीब-सी बेरुख़ी है, मार्च की हवा चुभ रही है। ख़ुद से लड़ाई बढ़ती चली जा रही है। जब लड़ाई ख़ुद से हो तो जीतने में कोई रस नहीं रहता, क्योंकि जो हार रहा होता है; उसमें भी हमारा होना बचा होता है।

गौरव गुप्ता

जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

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