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बाँसुरी पर पद

हिंदी के भक्ति-काव्य

में कृष्ण का विशिष्ट स्थान है और इस रूप में कृष्ण की बाँसुरी स्वयं कृष्ण का प्रतीक बन जाती है।

चलौ री, मुरली सुनिये

सूरदास मदनमोहन

हे घन स्याम, कहाँ घनस्याम

सत्यनारायण कविरत्न

बंसी मेरी प्यारी

गोस्वामी हरिराय