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एन्ग्जायटी पर उद्धरण

तृष्णा सबसे बढ़कर पापिष्ठ तथा नित्य उद्वेग करने वाली बताई गई है। उसके द्वारा प्रायः अधर्म ही होता है।वह अत्यंत भयंकर पाप बंधन में डालने वाली है।

वेदव्यास

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