कुँवर नारायण के 10 प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ठ उद्धरण
कुँवर नारायण के 10 प्रसिद्ध
और सर्वश्रेष्ठ उद्धरण
भाषा के पर्यावरण में कविता की मौजूदगी का तर्क जीवन-सापेक्ष है : उसके प्रेमी और प्रशंसक हमेशा रहेंगे—बहुत ज़्यादा नहीं, लेकिन बहुत समर्पित!
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कविता में ‘मैं’ की व्याख्या केवल आत्मकेंद्रण या व्यक्तिवाद के अर्थ में करना
उसके बृहतर आशयों और संभावनाओं दोनों को संकुचित करना है।
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टैग्ज़ : आत्मऔर 1 अन्य
अगर राजनीति के बाहर भी स्वतंत्रता के कोई मतलब हैं तो हमें उसको एक ऐसी भाषा में भी खोजना, और दृढ़ करना होगा जो राजनीति की भाषा नहीं है।
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टैग्ज़ : भाषाऔर 1 अन्य
जीवन-बोध, केवल वस्तुगत नहीं, चेतना-सापेक्ष होता है, और साहित्य की निगाह दोनों पर रहती है।
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टैग : सृजन
कोई भी कला सबसे पहले रचनात्मकता का अनुभव है। रचनात्मकता ही एक कला का प्रमुख विषय (content) होता है।
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टैग : कला
श्रेष्ठ कलाओं में अंतर्विरोध नहीं होता, विभिन्नताओं का समन्वय और सहअस्तित्व होता है।
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टैग : कला
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere