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उद्धरण

उद्धरण श्रेष्ठता का संक्षिप्तिकरण हैं। अपने मूल-प्रभाव में वे किसी रचना के सार-तत्त्व सरीखे हैं। आसान भाषा में कहें तो किसी किताब, रचना, वक्तव्य, लेख, शोध आदि के वे वाक्यांश जो तथ्य या स्मरणीय कथ्य के रूप में प्रस्तुत किए जाते हैं, उद्धरण होते हैं। भाषा के इतिहास में उद्धरण प्रेरणा और साहस प्रदान करने का काम करते आए हैं। वे किसी रचना की देह में चमकती आँखों की तरह हैं, जिन्हें सूक्त-वाक्य या सूक्ति भी कहा जाता है। संप्रेषण और अभिव्यक्ति के नए माध्यमों में इधर बीच उद्धरणों की भरमार है, तथा उनकी प्रासंगिकता और उनका महत्त्व स्थापना और बहस के केंद्र में है।

1923 -1966

‘तू ज़िंदा है तो ज़िंदगी की जीत में यक़ीन कर...’ के रचयिता और लोकप्रिय गीतकार। सिनेमा और प्रगतिशील आंदोलन से संबद्ध।

1932 -2021

बांग्ला के समादृत कवि और समालोचक। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित।

1911 -1993

समादृत कवि-गद्यकार और अनुवादक। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

1931 -1991

समादृत लेखक और व्यंग्यकार।

1872 -1950

समादृत कवि-लेखक-संपादक, महर्षि-योगी-दार्शनिक और क्रांतिकारी। अँग्रेज़ी, हिंदी और बांग्ला में लेखन।

1931 -1986

समादृत कवि-कथाकार-अनुवादक और संपादक। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

1922 -2000

हिंदी के समादृत कवि-कथाकार और आलोचक। भारतीय ज्ञानपीठ से सम्मानित।

1945 -2012

उग्र नारीवादी विचारक, लेखिका और कार्यकर्ता। 'द डाइलेक्टिक ऑफ़ सेक्स' कृति के लिए उल्लेखनीय।