Font by Mehr Nastaliq Web

कवियों की सूची

सैकड़ों कवियों की चयनित कविताएँ

सुपरिचित कवि-लेखक। दलित-संवेदना और सरोकारों के लिए उल्लेखनीय।

तेलुगु के समादृत कवि-लेखक। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित।

तेलुगु के सुप्रसिद्ध समालोचक-कवि। राजनेता-अर्थशास्त्री और शिक्षाविद के रूप में भी योगदान।

20वीं शताब्दी के सुप्रसिद्ध लेखक, ईसाई दार्शनिक और आलोचक। 'द क्रॉनिकल्स ऑफ नार्निया' सीरीज़ के लिए लोकप्रिय।

'राधावल्लभ संप्रदाय' से संबंधित। भाव-वैचित्र्य और काव्य-प्रौढ़ता के लिए विख्यात।

नई पीढ़ी की कवयित्री।

मंजुल शैली के सुपरिचित ओड़िया कवि।

कश्मीरी कवि और पत्रकार। 'शबनम्य' काव्य-संग्रह और 'शीराज़ा' पत्रिका के संपादन के लिए उल्लेखनीय।

सुप्रसिद्ध डोगरी कवयित्री-लेखिका-समालोचक और अनुवादक। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

सुपरिचित कवयित्री।

सुपरिचित कवयित्री।

रीतिग्रंथकार। अलक्षित कवि। फ़ारसी के ज्ञाता।

नई पीढ़ी के सुपरिचित कहानीकार-उपन्यासकार। भारतीय ज्ञानपीठ के नवलेखन पुरस्कार से सम्मानित।

सुपरिचित कवि।

हिंदी के प्रथम महाकवि। वीरगाथा काल से संबद्ध। ‘पृथ्वीराज रासो’ कीर्ति का आधार-ग्रंथ।

सुपरिचित कवि-लेखक और पत्रकार।

सुप्रसिद्ध राजस्थानी कवि-संपादक-अनुवादक। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

सुपरिचित कवि-लेखक। 'फल्गु किनारे' शीर्षक से एक कविता-संग्रह प्रकाशित।

संस्कृत-हिंदी-अँग्रेज़ी के रचनाकार। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के दर्शन विभाग से संबद्ध रहे।

सशक्त गद्यकार और चिंतक। 'उसने कहा था' जैसी कालजयी कहानी के रचनाकार। 'समालोचक' पत्रिका के संपादक और नागरी प्रचारिणी सभा के संपादकों में से एक। पांडित्यपूर्ण हास और अर्थ वक्र शैली के लिए विख्यात।

प्रौढ़ शिल्प में लिखित यथार्थपरक रचनाओं के लिए प्रसिद्ध। निबंध, कहानी और नाटकों के रचयिता। मासिक पत्र 'आजकल' के संपादक भी रहे।

सातवें दशक के समादृत कवि। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

गुजराती कवि, निबंधकार, आलोचक, संपादक और अनुवादक। 'धूलमणि पगलियो' संस्मरण कृति के लिए साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

सुपरिचित गुजराती कवि और आलोचक। 'साक्षीभास्य' समालोचना कृति के लिए साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

आधुनिक काल की आरंभिक गद्यकार।

सुपरिचित कवि। 'स्मृतियों में बसा समय' शीर्षक से एक कविता-संग्रह प्रकाशित।

अत्यंत सक्रिय छात्र नेता और अध्येता। जेएनयू से पढ़ाई। 1997 को बिहार बंद के समर्थन में सिवान शहर के जे.पी. चौराहे पर सभा करते हुए अपराधियों की गोली से शहीद हुए। चंदू के नाम से लोकप्रिय।

रीतिकालीन कवि। शृंगार और वीर रस की कविताओं में निष्णात। 'हम्मीर हठ' कीर्ति का आधार ग्रंथ।

सुपरिचित कवि-लेखक।

माधुर्य गुणयुक्त कविता में सलज्ज शृंगार की विवेचना करने वाली भारतेंदु युगीन अल्पज्ञात कवयित्री।

कृष्णभक्ति के सरस पदों के लिए ख्यात।

सुपरिचित डोगरी कवि। 'जोत' काव्य-संग्रह के लिए उल्लेखनीय।

'चरणदासी संप्रदाय' के प्रवर्तक। योगसाधक संत। जीवन-लक्ष्य साधने हेतु कृष्ण-भक्ति के साथ अष्टांग योग पर बल देने के लिए स्मरणीय।

पंजाबी कवि-लेखक। 'वाहगा' पत्रिका के संपादक।

पुरातत्वविद और कला-इतिहासकार। भारतीय कला-समीक्षा में उल्लेखनीय योगदान।

चस्वराचार्य: छठे दशक में सक्रिय छद्मनामधारी अलक्षित व्यंग्यकार।

कृष्णभक्त कवि। पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय के अष्टछाप कवियों में से एक। कुंभनदास के पुत्र और गोस्वामी विट्ठलनाथ के शिष्य।

समादृत उपन्यासकार और कथाकार। ऐतिहासिक प्रसंगों के प्रयोग के लिए उल्लेखनीय।

असमय दिवंगत हुए प्रतिभाशाली ओड़िया कवि। 'घास', 'प्रिय पड़ोसी', 'श्यामल शृंगार' आदि कृतियाँ प्रकाशित।

भाव कविता के लिए चिह्नित विदुषी तेलुगु कवयित्री।

ताइवान के सुप्रसिद्ध कवि-लेखक-अनुवादक। 'हंटिंग कैप्टिव वुमेन' कृति के लिए उल्लेखनीय।

ताइवान के सुप्रसिद्ध कवि-लेखक। 'लिटरेरी सर्किल' पत्रिका के संस्थापक और 'ली पोएट्री सोसाइटी' के अध्यक्ष के रूप में योगदान।

सुप्रतिष्ठित कन्नड़ कवि-लेखक। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

अल्पज्ञात कवि। महाभारत कथा पर आधारित प्रबंधकाव्य 'विजय मुक्तावली' के लिए स्मरणीय।

बुंदेलखंड के प्रतापी नरेश। प्रसिद्ध कवि भूषण के संरक्षक।