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रीतिकाल

काव्यशास्त्र की विशेष परिपाटी का अनुसरण करने के कारण 1643 ई. से 1843 ई. के समय को साहित्य का रीतिकाल कहा गया है। घोर शृंगार काव्य के अतिरिक्त इस दौर में भावुक प्रेम, वीरता और नीतिपरक कविताएँ लिखी गईं।

नीति कवि

रीतिकाल के नीतिकवि।

रीतिकाल के नीतिकवि। हिंदी के पहले संबोधन काव्य के रचयिता। 'राजिया' को संबोधित सोरठों के लिए समादृत।

डिंगल भाषा के श्रेष्ठ कवि। वीर रस से ओत-प्रोत काव्य के लिए उल्लेखनीय।

रीतिकालीन नीति कवि। अलक्षित, लेकिन कविता सरस और सुंदर लिखी है।

रीतिकाल की कवयित्री। पहेलियों के लिए स्मरणीय।

1713

जीवन के व्यावहारिक पक्ष के आलोक में नीति, वैराग्य और अध्यात्म के प्रस्तुतकर्ता। नीतिपरक कुंडलियों के लिए प्रसिद्ध।

रीतिकाल के अलक्षित कवि। 'कवित्त-हज़ारा' के रचनाकार।

रीतिकालीन अल्पज्ञज्ञात कवि।

1545 -1605

भक्तिकाल और रीतिकाल के संधि कवि। शब्द-क्रीड़ा में निपुण। भावों में मार्मिक व्यंजना और सहृदयता। दृष्टकूट दोहों के लिए स्मरणीय।

रीतिकाल के अलक्षित नीति कवि।

सूफ़ी संत, नीतिकार और रासो-काव्य के रचयिता। ब्रजभाषा पर अधिकार। वस्तु-वर्णन के लिए दोहा और सोरठा छंद का चुनाव।

1833 -1909

सतसई परंपरा के नीति कवि।

संत और भक्तकवि। वेदांत और सूफ़ीवाद का एक साथ निर्वाह करने के लिए समादृत।

1802 -1858 बनारस

रीतिकाल के नीतिकार। भाव निर्वाह के अनुरूप चलती हुई भाषा में मनोहर और रसपूर्ण रचनाओं के लिए प्रसिद्ध।

रीतिकाल के अलक्षित कवि।

रीतिकालीन अलक्षित नीति कवि।

रीतिकालीन अलक्षित कवि।

1723 -1783 जयपुर

रीतिकालीन जैन कवि। 'बुद्धि विलास' नामक ग्रंथ के रचनाकार। इनकी काव्य-भाषा राजस्थानी है।

रीतिकालीन नीति काव्यधारा के महत्वपूर्ण कवि। सरल भाषा में लोकव्यवहार संबंधी कुंडलियों के लिए स्मरणीय।

रीतिकाल के जैनकवि।

1693 -1749 आगरा

जैन कवि, उपदेशक एवं प्रवचनकार।

1649 -1703 आगरा

रीतिकालीन जैन कवि। संगीत, ज्योतिष और हिंदी, गुजराती, बंगला और फ़ारसी जैसी कई भाषाओं के जानकार।

'राम सतसई' के रचयिता। शृंगार की सरस उद्भावना और वाक् चातुर्य के कवि।

1643 -1735 जोधपुर

रीतिकालीन नीतिकवि। सूक्तिकार के रूप में स्मरणीय।

रीतिकालीन कवि। शृंगार और प्रेम की भावभूमि के सुंदर दोहों के लिए स्मरणीय।

रीतिकालीन अलक्षित कवि।

संत कवि। सरल और सहज भाषा। कविता में दैनिक जीवनानुभवों और उदाहरणों से अपनी बात पुष्ट करने के लिए स्मरणीय।

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