Font by Mehr Nastaliq Web

बाख़्चीसराय महल का फ़व्वारा

bakhchisray mahl ka favvara

अनुवाद : मदनलाल मधु

अलेक्सांद्र पूश्किन

अन्य

अन्य

अलेक्सांद्र पूश्किन

बाख़्चीसराय महल का फ़व्वारा

अलेक्सांद्र पूश्किन

और अधिकअलेक्सांद्र पूश्किन

    फ़व्वारे प्रणय-प्यार के, जिसमें है स्पंदन, धड़कन

    दो गुलाब के फूल तुम्हारे पास आज लाया उपहार,

    मुझे मधुर लगता तेरा स्वर, जो गूँजा करता हर क्षण

    प्यारी लगती काव्यमयी यह मुझको तेरी आँसू धार।

    रजत-रुपहले बिंदु तुम्हारे शबनम से प्यारे-प्यारे

    मुझको छूते, उनसे होता शीतलता का सुख-संचार,

    झर-झर-झर झरते जाओ फ़व्वारे, फ़व्वारे...

    और निहित जो तुम में गाथा, बतलाओ उसका आधार...

    फ़व्वारे प्रणय-प्यार के दुख में डूबे फ़व्वारे!

    तेरे सुंदर पत्थर से मैं पूछ रहा हूँ बारंबार,

    दूर-दूर तक फैल चुके हैं, मधुर प्रशंसा गान तुम्हारे

    किंतु मारीया के बारे में क्यों तुम बैठे चुप्पी मार...

    धुँधला-धुँधला हरम हुआ था रोशन औ' उजला जिससे

    क्या उसको भी गया भुलाया, दिया गया है यहाँ बिसार?

    या कि मारीया, ज़ारेमा के बिल्कुल झूठे हैं क़िस्से

    या कि रचा था उन्हें किसी ने मधुर कल्पना पंख-पसार?

    या कि सुखद सपने ने मानो अंधकार के मरुथल में

    कोई बिंब बनाया, कोई कल्पित चित्र किया तैयार,

    कोई परछाईं या छाया जिसको मिटना हो पल में

    वह धुँधला आदर्श रूप था जिसमें कोई सत्य सार?

    स्रोत :
    • पुस्तक : अलेक्सान्द्र पूश्किन चुनी हुई रचनाएँ (खंड-1) (पृष्ठ 15)
    • रचनाकार : अलेक्सान्द्र पूश्किन
    • प्रकाशन : प्रगति प्रकाशन, मास्को
    • संस्करण : 1982

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY