तीन बहुत प्राचीन चेहरे मेरे साथ ठहरे हुए हैं :
पहला महासागर, क्लाउडियस से बातें करता,
दूसरा हृदयहीन स्वभाव वाला उत्तर, सूर्योदय और सूर्यास्त;
दोनों ही वक़्त वहशी नज़र आता,
और तीसरी मृत्यु, जिसे हम समय का व्यतीत होना भी कहते हैं
और जो हम सभी को घिसकर पृष्ठभूमि में फेंक देती है।
इतिहास के उन अतीत क्षणों का लौकिक भार, जो या तो
यथार्थतः घटित हुआ या स्वप्न में दिखाई दिया,
मुझे निजी तौर पर वैसे ही सताता है जैसे कि अपराध बोध।
मैं इसी आसमान के नीचे डेनमार्क पर हुकूमत करने वाले, स्किल्ड
स्कीविंग के शरीर को सागर में वापस लाते
उस गरबीले जलयान की बात सोचता हूँ,
मैं उस महावृक की बात सोचता हूँ, जिससे साँप शासित होते थे,
जिसने जलती हुई नाव को शुद्धता और सुदर्शन मृत देवता की
धवल छवि प्रदान की थी,
मैं उन जलदस्युओं की बात भी सोचता हूँ, जिनका नरमांस,
सागर की जलराशि के नीचे गाद में छितरा हुआ है,
जहाँ कभी वे अपने साहसिक कारनामों को अंजाम दिया करते थे।
मैं उन समाधियों की बात सोचता हूँ, जिन्हें जहाज़ियों ने
अपने उत्तरी अभियानों के दौरान देखा था।
मैं अपनी स्वयं की मृत्यु की बात सोचता हूँ, अपनी पूर्ण मृत्यु की,
न कोई अंत्येष्टि-घट, न एक बूँद आँसू।
- पुस्तक : रोशनी की खिड़कियाँ (पृष्ठ 176)
- रचनाकार : होर्खे लुइस बोर्खेस
- प्रकाशन : मेधा बुक्स
- संस्करण : 2003
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