समय-नदी के उस पार
samay nadi ke us par
समय के नदी-तट पर
बाँध दी है मैंने
अपनी ख़्वाहिशों की नाव
कि कभी तो
दुनिया से ऊबकर
तुम्हारा मन
इस और लौटेगा
तब अपनी ख़्वाहिशों
की नाव में
बिठा कर
ले जाऊँगी
तुम्हें
समय-नदी के उस पार
वहाँ न तो
समय होगा
और न ‘मैं’ होऊँगी
और न ‘तुम’ होगे
जहाँ ‘न’ होने से
हो जाएगा
सब कुछ पार
- पुस्तक : राबिया का ख़त (पृष्ठ 64)
- रचनाकार : मेधा
- प्रकाशन : राधाकृष्ण पेपरबैक्स
- संस्करण : 2022
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