Font by Mehr Nastaliq Web

नए इलाक़े में/ख़ुशबू रचते हैं हाथ (एन.सी. ई.आ. टी)

ne ilaqe men/khushbu rachte hain haath (en. si. ii. aa. tee)

अरुण कमल

अरुण कमल

नए इलाक़े में/ख़ुशबू रचते हैं हाथ (एन.सी. ई.आ. टी)

अरुण कमल

और अधिकअरुण कमल

    नोट

    प्रस्तुत पाठ एनसीईआरटी की कक्षा नौवीं के पाठ्यक्रम में शामिल है।

    ए इलाक़े में

    नए इलाक़े में
    इन नए बसते इलाक़ों में
    जहाँ रोज़ बन रहे हैं नए-नए मकान
    मैं अकसर रास्ता भूल जाता हूँ

    धोखा दे जाते हैं पुराने निशान
    खोजता हूँ ताकता पीपल का पेड़
    खोजता हूँ ढहा हुआ घर
    और ज़मीन का ख़ाली टुकड़ा जहाँ से बाएँ
    मुड़ना था मुझे
    फिर दो मकान बाद बिना रंगवाले लोहे के फाटक का
    घर था इकमंज़िला

    और मैं हर बार एक घर पीछे
    चल देता हूँ
    या दो घर आगे ठकमकाता

    यहाँ रोज़ कुछ बन रहा है
    रोज़ कुछ घट रहा है
    यहाँ स्मृति का भरोसा नहीं
    एक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है दुनिया
    जैसे वसंत का गया पतझड़ को लौटा हूँ
    जैसे बैसाख का गया भादों को लौटा हूँ
    अब यही है उपाय कि हर दरवाज़ा खटखटाओ
    और पूछो—क्या यही है वो घर?

    समय बहुत कम है तुम्हारे पास
    आ चला पानी ढहा आ रहा अकास
    शायद पुकार ले कोई पहचाना ऊपर से देखकर।

    ख़ुशबू रचते हैं हाथ

    कई गलियों के बीच
    कई नालों के पार
    कूड़े-करकट
    के ढेरों के याद
    बदबू से फटते जाते इस
    टोले के अंदर
    ख़ुशबू रचते हैं हाथ
    ख़ुशबू रचते हैं हाथ।

    उभरी नसोंवाले हाथ
    घिस नाख़ूनोंवाले हाथ
    पीपल के पत्ते-से नए-नए हाथ
    जूही की डाल-से ख़ुशबूदार हाथ
    गंदे कटे-पिटे हाथ
    ज़ख़्म से फटे हुए हाथ
    ख़ुशबू रचते हैं हाथ
    ख़ुशबू रचते हैं हाथ।

    यहीं इस गली में बनती हैं
    मुल्क की मशहूर अगरबत्तियाँ
    इन्हीं गंदे मुहल्लों के गंदे लोग
    बनाते हैं केवड़ा गुलाब खस और रातरानी
    अगरबत्तियाँ
    दुनिया को सारी गंदगी के बीच
    दुनिया की सारी ख़ुशबू
    रचते रहते हैं हाथ

    ख़ुशबू रचते हैं हाथ
    ख़ुशबू रचते हैं हाथ।

    वीडियो
    This video is playing from YouTube

    Videos
    This video is playing from YouTube

    अरुण कमल

    अरुण कमल

    स्रोत :
    • पुस्तक : स्पर्श (भाग-1) (पृष्ठ 86)
    • रचनाकार : अरुण कमल
    • प्रकाशन : एन.सी. ई.आर.टी
    • संस्करण : 2022
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

    पास यहाँ से प्राप्त कीजिए