Font by Mehr Nastaliq Web

मौत के आग़ोश में एक शहर

maut ke aghosh mein ek shahr

अजीत रायज़ादा

अजीत रायज़ादा

मौत के आग़ोश में एक शहर

अजीत रायज़ादा

और अधिकअजीत रायज़ादा

    उस रात

    परेशान-हाल फ़ैक्टरी ने

    आख़िरकार

    कर ही लिया इरादा :

    बस बहुत हो गया

    पी रही हूँ

    अपने जन्म से ही

    जो ज़हर

    गला दिया है उसने

    मेरी आँखों को

    तिल-तिल कर मैं

    घुलती हुई क्यों मरूँ

    अकेली ही

    आदमी को भी चलना चाहिए पता

    जीते जी मर जाने का

    अर्थ।

    धीरे से उसने

    कर दी उल्टी ज़हर भरी

    लेकिन सड़क पर नहीं—आसमान पर :

    मुर्दे से पड़े

    सोते हुए शहर को

    कानोकान ख़बर तक हुई

    कि उसके हिस्से का आकाश

    भर गया है

    फ़ैक्टरी के विष-वमन से।

    जब

    हवा में घुला ज़हर

    घुस कर

    नाक, आँख, गले में चुपचाप

    करने लगा खिलवाड़

    फेफड़ों और ख़ून से

    तो दम घुटते हुए

    दहशतज़दा आदमी को लगा कि

    कोई आहिस्ता-आहिस्ता

    दबा रहा है

    उसका गला।

    बदहवासी में इधर-उधर

    बेमतलब भागते हुए लोगों ने

    सिर पर उठा लिया

    पूरा शहर।

    ज़हरीली गैस का शिकंजा

    ऑक्टोपस की तरह

    चला ही गया कसता

    और

    ताज़ी हवा को छटपटाते लोग

    (जो ज़्यादातर अधमरे ही होते हैं)

    इस बार पूरी तरह से

    मर गए।

    स्रोत :
    • पुस्तक : हाशिए पर आदमी (पृष्ठ 29)
    • रचनाकार : अजीत रायज़ादा
    • प्रकाशन : परिमल प्रकाशन
    • संस्करण : 1991

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए