जकार्ता की वेश्याओं एक हो
jakarta ki veshyaon ek ho
जकार्ता की वेश्याएँ
महान् और अदना
सभी कुचल दी गई हैं
वे भयभीत हैं
हक्का-बक्का
अपमानित और घबराई हुई
तुम जिस तरह चाहो पश्चाताप कर सकती हो।
लेकिन निराश मत हो
या स्वयं की बलि के लिए उद्यत मत हो।
जकार्ता की वेश्याओं
अब उठो
अपने बालों में कंघी करो
तुमने बहुत दु:ख झेला
अब तुम्हारी बारी है
केवल अपनी रक्षा करने की नहीं
वरन् आक्रमण करने की
तुम जिस तरह चाहो पश्चाताप कर सकती हो
लेकिन स्वयं की बलि चढ़ाने के लिए उद्यत मत हो।
सरीना!
उन्हें बताओ
कि कैसे तुम्हें मंत्री के कमरे की शोभा बनाया गया
और कैसे वह राष्ट्रीय क्रांति के बारे में गंभीरतापूर्वक
बड़ी देर तक तुम्हें व्याख्यान देता रहा
फिर सहसा—अपनी बात पूरी किए बग़ैर
तुम्हें क्रांति की प्रेरणा कहते हुए उसने
तुम्हारी चोली खोल दी।
और तुम डासिमा
लोगों को बताओ
कि जनता की प्रगति और क्रांति की आग पर—
भाषण देते हुए
क्रांति के सारे नेताओं ने
कैसे बारी-बारी तुम्हें—
आलिंगन-बद्ध किया/उनके पायजामे गीले थे
उनके शरीर तुम्हारी बग़ल में पसरे थे
और उनके तीर बड़ी तेज़ी से छूट रहे थे।
ये राजनीतिज्ञ और सीनियर सिविल सर्वेंट।
यह दूतों का एक गँठा हुआ गिरोह है
इनके सम्मेलन और कॉन्फ्रेंस
तुम्हारे बग़ैर नहीं चल सकते।
तुम जो कभी न नहीं कहोगी
अपनी भूख के आतंक के कारण
अपनी ग़रीबी के जुए के बोझ
और काम के लिए अपनी दीर्घकालीन व्यर्थ—
तलाश के कारण।
स्कूल के डिप्लोमा बेकार सिद्ध हुए
विभागीय अध्यक्ष
अवसर के दरवाज़े तभी खोल सकते थे
जब तुम उनके सामने अपनी टाँगे खोलतीं
और सरकार से अलहदा
केवल मंदे रोज़गार थे
जहाँ जगह ख़ाली नहीं थी
नेताओं की क्रांति थी
देवताओं की क्रांति थी
वे स्वर्ग के लिए लड़े थे
इस धरती के लिए नहीं
देवताओं द्वारा की जाने वाली क्रांति से
सामान्य जन के लिए रोज़गार कभी नहीं पैदा होते
तुम उस सर्वहारा वर्ग का एक हिस्सा हो
जो उन्हीं के द्वारा पैदा हुआ है
तब भी
तुम जिस तरह चाहो पश्चाताप कर सकती हो
लेकिन स्वयं की बलि चढ़ाने के लिए उद्यत मत हो
जकार्ता की वेश्याओं
लज्जित मत हो
जब मैं अख़बार में पढ़ता हूँ
कि वे विदूषक तुम्हें किस प्रकार उत्पीड़ित करते हैं
सारे राष्ट्र के संकटों की जड़ के रूप में
तुम्हें दोषी ठहराते हैं
तो मैं ग़ुस्से से भर उठता हूँ।
तुम मेरी दोस्त हो
नहीं चाहिए मुझे ऐसा ईश्वर
—विदूषक जिसके मुख हों—
जिसके मुख दुर्गंधित हों
उन्होंने सेक्स का भी राजनीतिकरण कर दिया।
मेरी बहनों
एक राजनैतिक दल की तुलना में
तुम्हें पराजित करना कहीं—ज़्यादा कठिन है
उन्हें तुमको काम देना होगा
उन्हें तुमको तुम्हारा स्थान देना होगा
उन्हें भी अपनी ग़लतियों का वज़न ढोना होगा।
मेरी बहनों एक हो।
छड़ियाँ पकड़ो
उनके सिरे पर अपनी चोलियाँ फहराओ
जुलूस बनाकर उन्हें सारे नगर में घुमाओ
झंडे की तरह उन्हें फहराते हुए
जिनको उन सब ने ज़लील किया है।
अब बारी है तुम्हारे अधिकार माँगने की
उन्हें बता दो
कि वेश्याओं के उत्पीड़न की सिफ़ारिश मूर्खता है
उनसे विवाह की सिफ़ारिश भी आवश्यक है।
जकार्ता की वेश्याओं
मेरी बहनों
पुरुषों के सामने काँपो नहीं
जबकि तुम उनके झूठ को बड़ी आसानी से
बेनक़ाब कर सकती हो।
अपनी क़ीमतें दुगनी करो
उन्हें तड़फड़ाने दो
बस एक माह की हड़ताल
और बहुत जल्द वे अपने भाईयों की पत्नियों के साथ
व्यभिचार करने लगेंगे।
- पुस्तक : दरवाज़े में कोई चाबी नहीं (पृष्ठ 190)
- संपादक : वंशी माहेश्वरी
- रचनाकार : डब्ल्यू. एस. रेण्ड्रा
- प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
- संस्करण : 2020
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