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हमारे शहर में पितर

hamare shahr mein pitar

गगन गिल

गगन गिल

हमारे शहर में पितर

गगन गिल

और अधिकगगन गिल

    चिड़ियाँ बेघर थीं हमारे शहर में।

    हम डरे हुए लोग थे। हम चूल्हों से डरते आए थे। और छिपकलियों से। इन दिनों

    मच्छर हमारे आतंक का कारण थे। और उनके पेट में पलते अदृश्य जीवाणु।

    हम इतना डरे हुए थे कि अगले जन्म में भी मनुष्य रहना चाहते थे। इसके लिए

    हम कोई भी पाप कर सकते थे।

    हमें देखते ही चिड़ियाँ अपने पंख फड़फड़ातीं। हम उनके घरों में ही नहीं, दुःस्वप्नों

    में भी रहते थे।

    पितर मँडराते हमारे शहर भर में। कव्वे, मच्छर और बिल्लियाँ बनकर।

    स्रोत :
    • पुस्तक : अँधेरे में बुद्ध (पृष्ठ 99)
    • रचनाकार : गगन गिल
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
    • संस्करण : 1996

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