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जिन चीज़ों का मतलब नहीं होगा

jin chizon ka matlab nahin hoga

हरे प्रकाश उपाध्याय

हरे प्रकाश उपाध्याय

जिन चीज़ों का मतलब नहीं होगा

हरे प्रकाश उपाध्याय

और अधिकहरे प्रकाश उपाध्याय

    मैं भारत में नहीं रहता हूँ

    मैं अपने घर में रहता हूँ

    मेरे घर का कोई नाम नहीं है

    मेरे घर के बग़ल में कई घर हैं

    सबके अपने-अपने घर हैं

    सबके घर में अपना-अपना प्यार

    बहुत हुआ तो मिल-जुल आए किसी तीज-त्योहार

    मैं अपने घर में रहता हूँ और कई बार

    मुझे लगता है मैं बेघर रहता हूँ

    घर की छप्पर पर रुक नहीं पाती बारिश धूप सर्दी

    मैं मौसम की मार हरमेश अपने सिर पर सहता हूँ

    मंदिर बहुत हैं

    घर बहुत कम हैं

    घर में भी मंदिर है

    मंदिर में मूर्तियाँ रहती हैं

    मैं मूर्तियों-सा नहीं रहना चाहता हूँ

    मैं किसी बात पर अड़ता हूँ

    किसी बात से डरता हूँ

    किसी से घृणा, किसी से मुहब्बत करता हूँ

    मैं फ़ैसले करता हूँ

    मैं मौक़े आने पर घर बदलता हूँ

    आपसे मैं कह सकता हूँ

    रहने दीजिए अपने चढ़ावे पान फूल इत्र सुगंध

    मैं घर से निकलकर कुछ देर में घर लौटता हूँ

    घरों के बीच

    मैं बहुत सारे घरों के बारे में सोचता हूँ

    घरों के बारे में सोचते हुए मैं

    दरअसल घरों में रहने वाले लोगों के बारे में सोचता हूँ

    मुझे उन लोगों के बारे में भी सोचना होगा जिनके घर नहीं हैं

    जिनके घर नहीं हैं

    दरअसल वे बेघर नहीं हैं

    उनके भी घर हैं

    उनके घर में भी उनके अपने-अपने डर हैं

    उनका पता अभी दर्ज़ होना है मतदाता-सूची में

    उनके पास खोने को कुछ नहीं

    पर उन्हें भी दाता होना है

    उन्हें ही दरअसल भारत का भाग्य-विधाता होना है

    घर गिने जाएँगे

    जब चुनाव आएँगे

    दरअसल जब घिरे गिने जाएँगे तो लोग गिने जाएँगे

    उनमें रहने वाली परेशानियों को नहीं गिना जाएगा

    परेशानियाँ अपने नहीं गिने जाने पर घर में कलह मचाएँगी

    बर्तन बजेंगे

    ज़ोर-ज़ोर से लोगों के बोलने की आवाज़ें आएँगी

    उन आवाज़ों का कोई मतलब नहीं निकाला जाएगा इस जनतंत्र में…

    जिन चीज़ों का कोई मतलब नहीं निकाला जाएगा

    वे चीज़ें भी रहती आई हैं घर में साधिकार

    और रहती रहेंगी लगातार

    घर से निकलेंगे लोग

    और मैदान में खड़े होंगे तो गाएँगे

    राष्ट्रगान

    भारत माता की जय बोलेंगे

    हाथ लहरा के मुट्ठी बाँध के बोलेंगे

    भारत माता की जय

    हिंदू होंगे जो

    मुसलमानों को देखकर मुस्काएँगे

    मुसलमान होंगे जो नज़रें फेर ग़ुस्साएँगे

    भारत माता को कोई मतलब नहीं कौन क्या चिल्लाया

    नेता क्या बोला

    अफ़सर क्या बोला

    मास्टर क्या बोला

    भारत माता को कोई मतलब नहीं कौन क्या चिल्लाया

    भारत माता को अपने घर नहीं लाएँगे लोग

    भारत माता को अस्पताल नहीं ले जाएँगे लोग

    भारत माता को पार्क में नहीं टहलाएँगे लोग

    लोग छुट्टियाँ मनाएँगे

    सिनेमा देखने जाएँगे

    सिनेमा में एक नक़ली हीरो, हीरो हो जाएगा

    असली भारत में एक नक़ली सिनेमा की तर्ज़ पर कई नक़ली फ़िल्में बनेंगी

    फ़िल्मों में गाना होगा नाच होगा लड़ाई होगी

    बहुत हुआ तो अँग्रेज़ होंगे देशभक्त होंगे

    भारत माता तो नहीं होगी फ़िल्मों में

    जैसे देशभक्त नहीं होंगे दर्शकों में

    क्या, आपको क्या लगता है…?

    छुट्टियों के बाद अपने-अपने काम पर चले जाएँगे लोग

    काम से लौटकर घर आएँगे

    बहुत हुआ तो

    अपनी-अपनी माता के पैर दबाएँगे लोग

    भारत माता फिर किसकी माता है

    छब्बीस जनवरी के दिन राजमिस्त्री धड़ाधड़ घर की ईंटे जोड़ते हुए

    मज़ाक में पूछता है

    भारत माता किसकी माता है…

    इस सवाल का कोई मतलब नहीं होगा जनतंत्र में

    पर जिन चीज़ों का मतलब नहीं होगा…

    वे भी होंगी

    स्रोत :
    • रचनाकार : हरे प्रकाश उपाध्याय
    • प्रकाशन : हिंदी समय
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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