Font by Mehr Nastaliq Web

देहाती लड़की

dehati laDki

अनुवाद : दिनेश चमोला

डगों टाया

डगों टाया

देहाती लड़की

डगों टाया

और अधिकडगों टाया

    सन् 1939 में

    शाम राज्य में यात्रा को

    स्मरण करते हुए

    आभा से महका आकाश

    हलका नीला

    महकती आँखों की धारी

    सुबह के सोने का धब्बा

    किनारों से लाल

    सुंदर लगते हैं

    उसके प्यारे

    लाल-लाल गाल

    पहाड़ और घाटियाँ,

    पेड़ और बेलें

    संयोग से सजाती हैं

    परिपूर्ण धरती को

    फ़सलों और जड़ी बूटियों से

    खिल उठता है उसके चेहरे का रंग

    जंगली फूलों-सा

    धान बाजा स्वतंत्र और स्पष्ट हैं

    चिनगारी से झरने से

    आगंतुकों के प्रति सदैव दयार्द्र

    और उसके होंठों पर

    थिरकती है शिष्ट हँसी

    स्रोत :
    • पुस्तक : समकालीन बर्मी कविताएँ (पृष्ठ 86)
    • संपादक : चन्द्र प्रकाश प्रभाकर 'मौतीरि'
    • रचनाकार : डगों टाया
    • प्रकाशन : इरावदी प्रकाशन, नई दिल्ली
    • संस्करण : 1994

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY