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हम बीसवीं शताब्दी के

hum bisvin shatabdi ke

पेन्यु पेनेव

अन्य

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पेन्यु पेनेव

हम बीसवीं शताब्दी के

पेन्यु पेनेव

और अधिकपेन्यु पेनेव

    जो मेरे बाद आओगे

    और जो मेरे जीवनकाल में ही होगे

    मैं तुमसे कह रहा हूँ

    एक कठोर तानाशाह के आदेश पर—

    जिसका ठीक-ठीक नाम है

    आदमी का दिल।

    कष्टकारी दिनों की प्राचीर से

    हम खोदकर निकालते हैं

    टुकड़े-टुकड़े

    अपना सुख

    और इसे संजोता है अपना देश

    टुकड़े-टुकड़े

    और प्यार से पीता है

    बूँद-बूँद।

    कल निश्चय ही वे

    अधिक सुखी होंगे

    जो हमारे बाद आएँगे

    वे हर्ष से उन्मत्त हो

    हमारे श्रम का जयघोष करेंगे

    उनकी कृतज्ञता में सच्चाई होगी

    क्योंकि अब हम बना रहे हैं

    एक विशाल तालाब

    जिसे भर रहे हैं

    अपने रक्त और आँसुओं से

    क्योंकि हम अगुआ हैं

    कम्युनिज़्म के पहले पहर के।

    हम उनके संपूर्ण दिवस के

    कर्मठ अभिनव प्रभात हैं।

    हम लादे हुए हैं ख़ुशी से

    बोझ अपनी शताब्दी का

    अपने कंधों पर।

    ऐसा शौर्य कब देखा धरती ने

    कितनों ने निभाया कर्तव्य सही ढंग से

    आगामी वर्षों के तट तक

    हम पुल हैं इस पीढ़ी के।

    अपने प्रयास का लक्ष्य ज़रा सुन लो

    स्वप्न जो संजोया है पूरा हो

    नहीं, किसी वस्तु के लिए नहीं

    किसी से

    कभी

    विनियम करूँगा मैं ऐसी परम ख़ुशी का।

    स्रोत :
    • पुस्तक : बल्गारियाई कविताएँ (पृष्ठ 109)
    • संपादक : रमेश कौशिक
    • रचनाकार : पेन्यु पेनेव
    • प्रकाशन : पराग प्रकाशन
    • संस्करण : 1985

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