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अँगेजल जिन्दगानी के

angejal jindgani ke

जगन्नाथ

जगन्नाथ

अँगेजल जिन्दगानी के

जगन्नाथ

और अधिकजगन्नाथ

    अँगेजल जिन्दगानी के कबो आसान ना होला

    करेला घात जे हमरा अनजान ना होला

    सुनीं सभकर मगर इहँवाँ कहानी के सुनी राउर

    जमाना का भले हो जीभ बाकिर कान ना होला

    बसे के मन जो होखे गाँव में सुधियन के जाईं

    इहाँ कबहूँ हिया का दरदिया के टान ना होला

    करी बिसवास के हमरा हमरा लाख चहलो पर

    गरीबी के कहत बा लोग सब ईमान ना होला

    कबो भगवान हो जाला, कबो सैतान हो जाला

    गजब के बात बा इन्सान इन्सान ना होला

    स्रोत :
    • पुस्तक : लर मोतिन के (पृष्ठ 17)
    • रचनाकार : जगन्नाथ
    • प्रकाशन : पुष्कर प्रकाशन, बक्सर
    • संस्करण : 1977

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