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लाल लली ललि लाल की

laal lalii lali laalakii

दयाराम

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लाल लली ललि लाल की

दयाराम

और अधिकदयाराम

    लाल लली ललि लाल की, लै लागी लखि लोल।

    त्याय दे री लय लायकर, दुहु कहि सुनि चित डोल॥

    लाल को लली से और लली को लाल से मिलने की इच्छा है। दोनों मुझे कहते हैं, अरी तू उससे मुझे मिलाकर विरहाग्नि को शांत कर। इनकी बातें सुनते-सुनते मेरा भी चित्त विचलित हो गया है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : दयाराम सतसई (पृष्ठ 79)
    • संपादक : दयाराम सतसई

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