दंपति चरण सरोज पै
dampati charn saroj pai
दंपति चरण सरोज पै, जो अलि मन मंडराई।
तिहि के दासन दास कौ, रसनिधि अंग सुहाइ॥
श्री राधाकृष्ण के चरण-कमलों पर जिनका मनरूपी भ्रमर मँडराता रहता है, उनके दासों के भी दास की संगति मुझे बहुत सुहानी लगती है।
- पुस्तक : पुष्प-पराग (पृष्ठ 274)
- संपादक : टेकचंद शास्त्री
- रचनाकार : रसनिधि
- प्रकाशन : भारती सदन, दिल्ली
- संस्करण : 1955
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