Font by Mehr Nastaliq Web

कारगिल विजय की शौर्यगाथा दर्शाती फ़ोटो प्रदर्शनी का शुभारंभ

26 जुलाई 2024 को—कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगाँठ है। इस अवसर पर देश भर में ‘कारगिल विजय रजत जयंती महोत्सव’ मनाया जा रहा है। भारत सरकार की इस पहल पर नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया और दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के संयुक्त प्रयासों से राजीव चौक मेट्रो स्टेशन गेट नंबर दो और तीन के पास व्यूअर्स गैलरी में 12 से 26 जुलाई 2024 तक फ़ोटो प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है।

फ़ोटो प्रदर्शनी का उद्देश्य वर्ष 1999 में हुए कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सशस्त्र सेना के पराक्रम को प्रदर्शित करना है और उन वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करना है—जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपनी जान की क़ुर्बानी दी। प्रदर्शनी में शामिल तस्वीरों को भारतीय सेना की तरफ़ से उपलब्ध करवाया गया है। साथ ही यहाँ एक बुक रीडिंग कॉर्नर बनाया गया है, जहाँ यात्री—कारगिल युद्ध से जुड़ी एनबीटी, इंडिया की पुस्तकें पढ़ सकते हैं।

शुक्रवार,12 जुलाई 2024 को प्रदर्शनी के उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया के अध्यक्ष मिलिंद सुधाकर मराठे ने कहा—

1999 कारगिल युद्ध के दौरान जो बच्चे थे, आज वे युवा हो गए हैं और उन्हें कारगिल युद्ध के बारे में पूरी जानकारी हो, इसके लिए इस फ़ोटो प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। इस प्रदर्शनी के तीन भाग हैं—पहले में परमवीर चक्र, महावीर चक्र, वीर चक्र और अन्य वीरता पुरस्कारों से सम्मानित वीरों की उपलब्धियों के बारे में बताया गया है।

दूसरे भाग में उन वीरों के पत्रों का संकलन है जो कारगिल युद्ध में जाने से पहले वीरों ने अपने परिवार के सदस्यों को लिखे थे। उन पत्रों में देश-प्रेम का भाव है।

तीसरे भाग में कारगिल विजय की कभी ना भूलने वाली यादों को फ़ोटो के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है।

डीएमआरसी के प्रिंसिपल एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, कॉरपोरेट कम्युनिकेशन अनुज दयाल ने कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सशस्त्र सेना की वीरता, साहस और जज़्बे को याद करते हुए कहा—

कारगिल युद्ध में भारतीय सेना ने विषम परिस्थितियों में पाकिस्तानी घुसपैठियों का सामना किया और दुश्मन को खदेड़ा। भारत के लिए यह बहुत गर्व की बात है कि एनबीटी, इंडिया पुस्तकों के माध्यम से इतिहास को संरक्षित कर रहे हैं, उसे जानने के लिए युवाओं को बढ़ावा दे रहे हैं।

इस प्रदर्शनी में एक ख़ास बात यह भी है कि जो सैनिक युद्ध में शहीद हुए, वे जैसा वहाँ महसूस कर रहे थे, उन्होंने उसे अपने परिवार के नाम लिखी चिट्ठियों में दर्शाया है। राजीव चौक मेट्रो स्टेशन सबसे व्यस्ततम मेट्रो स्टेशन है। यहाँ एनबीटी, इंडिया ने फ़ोटो और पुस्तक प्रदर्शनी से कारगिल युद्ध के गुमनाम वीरों के बारे में जानने के लिए बच्चों और युवाओं को प्रेरित किया है। जिन जवानों ने देश की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया, हमारा यह प्रयास है कि युवा पीढ़ी उससे प्रेरणा ले और अपने अंदर देशभक्ति की भावना को जागृत करे।

इस कार्यक्रम के दौरान पचास से अधिक स्कूली बच्चों ने भी भाग लिया। उनके लिए एनबीटी, इंडिया की तरफ़ से कथावाचन, कैरीकेचर और कला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।

12 से 26 जुलाई तक आयोजित इस प्रदर्शनी को देखने के लिए राजीव चौक मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर दो और तीन का उपयोग कर व्यूअर्स गैलरी में पहुँचा जा सकता है। इसके लिए मेट्रो टिकट लेने की आवश्यकता नहीं है। इसमें प्रवेश नि:शुल्क है।

'बेला' की नई पोस्ट्स पाने के लिए हमें सब्सक्राइब कीजिए

Incorrect email address

कृपया अधिसूचना से संबंधित जानकारी की जाँच करें

आपके सब्सक्राइब के लिए धन्यवाद

हम आपसे शीघ्र ही जुड़ेंगे

06 अक्तूबर 2024

'बाद मरने के मेरे घर से यह सामाँ निकला...'

06 अक्तूबर 2024

'बाद मरने के मेरे घर से यह सामाँ निकला...'

यह दो अक्टूबर की एक ठीक-ठाक गर्मी वाली दोपहर है। दफ़्तर का अवकाश है। नायकों का होना अभी इतना बचा हुआ है कि पूँजी के चंगुल में फँसा यह महादेश छुट्टी घोषित करता रहता है, इसलिए आज मेरी भी छुट्टी है। मेर

24 अक्तूबर 2024

एक स्त्री बनने और हर संकट से पार पाने के बारे में...

24 अक्तूबर 2024

एक स्त्री बनने और हर संकट से पार पाने के बारे में...

हान कांग (जन्म : 1970) दक्षिण कोरियाई लेखिका हैं। वर्ष 2024 में, वह साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होने वाली पहली दक्षिण कोरियाई लेखक और पहली एशियाई लेखिका बनीं। नोबेल से पूर्व उन्हें उनके उपन

21 अक्तूबर 2024

आद्या प्रसाद ‘उन्मत्त’ :  हमरेउ करम क कबहूँ कौनौ हिसाब होई

21 अक्तूबर 2024

आद्या प्रसाद ‘उन्मत्त’ : हमरेउ करम क कबहूँ कौनौ हिसाब होई

आद्या प्रसाद ‘उन्मत्त’ अवधी में बलभद्र प्रसाद दीक्षित ‘पढ़ीस’ की नई लीक पर चलने वाले कवि हैं। वह वंशीधर शुक्ल, रमई काका, मृगेश, लक्ष्मण प्रसाद ‘मित्र’, माता प्रसाद ‘मितई’, विकल गोंडवी, बेकल उत्साही, ज

02 जुलाई 2024

काम को खेल में बदलने का रहस्य

02 जुलाई 2024

काम को खेल में बदलने का रहस्य

...मैं इससे सहमत नहीं। यह संभव है कि काम का ख़ात्मा किया जा सकता है। काम की जगह ढेर सारी नई तरह की गतिविधियाँ ले सकती हैं, अगर वे उपयोगी हों तो।  काम के ख़ात्मे के लिए हमें दो तरफ़ से क़दम बढ़ाने

13 अक्तूबर 2024

‘कई चाँद थे सरे-आसमाँ’ को फिर से पढ़ते हुए

13 अक्तूबर 2024

‘कई चाँद थे सरे-आसमाँ’ को फिर से पढ़ते हुए

शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी के उपन्यास 'कई चाँद थे सरे-आसमाँ' को पहली बार 2019 में पढ़ा। इसके हिंदी तथा अँग्रेज़ी, क्रमशः रूपांतरित तथा अनूदित संस्करणों के पाठ 2024 की तीसरी तिमाही में समाप्त किए। तब से अब

बेला लेटेस्ट

जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

टिकट ख़रीदिए