प्रियंवद की संपूर्ण रचनाएँ
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एक ख़त मैकॉले के नाम
श्रीमान मैकॉले साहब, आप मुझे नहीं जानते। जानेंगे भी कैसे? आपके और मेरे बीच वक़्त का फ़ासला बहुत ज़्यादा है। इसे घड़ी की सुइयों से नहीं नापा जा सकता।
By प्रियंवद | 16 अक्तूबर 2023
1952 | कानपुर, उत्तर प्रदेश
समादृत कथाकार-इतिहासकार। 'अकार' के संपादक।
समादृत कथाकार-इतिहासकार। 'अकार' के संपादक।