महादेवी वर्मा के बेला
19 अगस्त 2024
जो रेखाएँ न कह सकेंगी
एक युग बीत जाने पर भी मेरी स्मृति से एक घटा भरी अश्रुमुखी सावनी पूर्णिमा की रेखाएँ नहीं मिट सकी हैं। उन रेखाओं के उजले रंग न जाने किस व्यथा से गीले हैं कि अब तक सूख भी नहीं पाए—उड़ना तो दूर की बात है