गुरदीप भोसले के बेला
बालमुकुंद गुप्त के भूले-बिसरे साहित्यिक घराने की ओर
कल रात बारिश और आँधी आई थी तो मौसम ने भी प्रतिदिन की आदत को छोड़ते हुए हम पर रहम किया और सूर्य देवता काफ़ी देर तक ग़ायब ही रहे तथा बादलों ने ख़ुद को ढाल बनाकर हमें शीतलता प्रदान की। महेंद्रगढ़, ऐसी ज